जब बात खाने की आती है, तो भारत का खाना सबसे अलग रहता है। यहाँ हर कोने में अलग मसालों का जादू, अलग तरीके और अलग कहानियाँ मिलती हैं। चाहे ग्रीष्म की ठंडी लस्सी हो या बरसात की गरम रसम, हर बाइट में कुछ न कुछ नया मिलना तय है। इस पेज पर हम भारतीय खाना के प्रमुख पहलुओं को सरल भाषा में समझेंगे, ताकि आप भी अपने घर में सच्चा स्वाद जोड़ सकें।
भारत चार मुख्य भागों में बंटा है – उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम – और हर भाग का अपना विशेष स्वाद है। उत्तर में भट्टी की रोटियाँ, घी में पकी दाल‑मखानी और तंदूरी चिकन मिलते हैं। मसाले हल्के होते हैं, लेकिन बटर चिकन और दाल का स्वाद याद रहे। दक्षिण में नारियल का बड़ा रोल है – इडली, डोसा, कढ़ाई में पका नारियल तेल। यहाँ के करी़ में करी पत्ता, कड़े पावडर और ताज़ा हरी मिर्च का इस्तेमाल होता है। पूर्व में सरसों के तेल और पपीता का अचार, मछली के सादा टadka, और मीठे लड्डू मिलते हैं। पश्चिम में हलचलभरा होना देखिए – धोकला, फाफड़ा, और किनारे की समुद्री लहरों की तरह खट्टी मछली की चटनी। इन चारों क्षेत्रों की रसोई मिलकर भारतीय खाने को दुनिया भर में पहचान दिलाती है।
भोजन बनाना इतना कठिन नहीं है, अगर आपके पास बेसिक चीज़ें हों: बेसन, आटा, दाल, कुछ मसाले (हल्दी, मिर्च, धनिया) और तेल। एक तेज़ नास्ते के लिए आप पसे हुए बेसन, हरी मिर्च, नमक मिलाकर पकोड़े तैयार कर सकते हैं। बस कड़ाही में तेल गरम करें, मिश्रण को टेढ़े‑मेढ़े गोलाई में डालें, सुनहरा होने तक तलें। दूसरा आसान विकल्प है आलू का पराठा – उबले आलू को नमक, हरी मिर्च, हरा धनिया और हल्दी के साथ मसलें, फिर गेहूँ के आटे से बेलें और तवे पर थोडा घी डालकर सेकें। दो‑तीन मिनट में तैयार हो जाएगा। अगर आप हल्की दाल चाहते हैं, तो तूफा दाल में हल्दी, नमक और सरसों का तड़का लगाएं; पाँच मिनट में दाल तैयार। इन रेसिपी में कम समय लगेगा और स्वाद खजाना जैसा लगेगा।
हर चीज़ को थोड़ा प्रयोग कीजिए – थोड़ा ज्यादा जीरा, थोड़ा कम नमक, या नींबू की चटकी। भारतीय खाना हमेशा लचीलापन देता है, यानी आप अपनी पसंद के हिसाब से बदलाव कर सकते हैं। अगर आप बाहर की थाली का मज़ा अपने घर में चाहते हैं, तो यही बेसिक चीज़ें याद रखें, फिर अपनी रचनात्मकता बढ़ाएँ।
इस विषय पर विचार करते समय हमें स्पष्ट रूप से समझना चाहिए कि भारतीय और पाकिस्तानी खाना दोनों ही अपने-अपने स्वाद और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यह कहना की एक दूसरे से बेहतर कौन है, यह पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद और रुचियों पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को पाकिस्तानी खाना भारतीय खाने से बेहतर लग सकता है, जबकि दूसरों का विचार इसके विपरीत हो सकता है। हमें स्वीकार करना चाहिए कि दोनों ही खानों में अपनी अद्वितीयता और स्वाद है, जिसे हमें सम्मान देना चाहिए।